जिसे चोर चुरा नहीं सकता है जिस धन की अधिकता होने पर टैक्स राजा नहीं ले सकता भाई बटवारे में उस धन में से न हिस्सा ले सकता न मांग सकता है जिस धन की अधिकता से भय नहीं होता न ढोने में भारकारी है सबसे बड़ा गुण व्यय करने के बाद उत्तरोत्तर बढ़ता ही रहता है वह मात्र एक धन विद्या है अतः सभी प्रकार के धनो में विद्या धन सर्व श्रेष्ठ है अभिप्राय यह है की हर क्षण विद्यार्जन औपचारिक या अनौपचारिक विधि से करते रहना चाहिए | यह जन्म से मृत्यु तक घर या बाहर सर्वत्र हर क्षण काम आनेवाला धन है | शास्त्रीय प्रमाण - न चौरहार्यं न च राजहार्यं, न भर्त्री भाज्यं न च भारकारी | व्यये कृते वर्धत एव नित्यं, विद्या धनं सर्व धनं प्रधानम || "धर्म जागरण मंच"